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लंबे समय से एनडीए में सीट शेयरिंग की जो चर्चा चल रही थी, वह आखिरकार 18 मार्च को फाइनल हो गई और शाम पांच बचे एनडीए के घटक दलों ने इसकी घोषणा भी कर दी. हालांकि इस घोषणा में कुछ भी नया नहीं था. सीटें उसी हिसाब से बंटी, जिसकी चर्चा कई दिनों से मीडिया में थी. बीजेपी को 17 सीटें, जदयू 16, लोजपा (रामविलास) यानी चिराग पासवान की पार्टी को 5, जीतनराम मांझी की पार्टी 'हम' और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा को एक-एक सीट मिलीं.
सीटों के लिहाज से देखें तो सबसे अधिक फायदे में जदयू रहा. अपने 16 सांसदों के बदले वह 16 सीट हासिल करने में सफल रहा. हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव (2019) में पार्टी को 17 सीटें मिली थीं, जिसमें पार्टी को किशनगंज की सीट पर कांग्रेस से हार का सामना करना पड़ा था. मगर जिस तरह हाल के वर्षों में, खासकर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी कमजोर हुई है, उस लिहाज से मोलभाव में वह कमजोर नहीं दिखी.